समराला, 7 जून (निस)
लोकसभा चुनाव समाप्त होते ही बुरी तरह से शिकस्त का संताप झेल रहे शिरोमणि अकाली दल के लिए उनके विधायक मनप्रीत सिंह आयाली ने पार्टी की गतिविधियों से किनारा करने का फैसला लेकर एक नई मुसीबत खड़ी कर दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मनप्रीत सिंह अयाली ने कहा कि पार्टी को किसानों का विश्वास हासिल करने के लिए बड़े फैसले लेने की जरूरत है। अयाली ने झूंदा कमेटी की रिपोर्ट लागू होने तक पार्टी गतिविधियों से दूर रहने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल पंथ और पंजाब का सिरमौर संगठन है जिसका इतिहास बहुत सम्मानजनक रहा है, लेकिन पिछले कुछ समय से पार्टी नेताओं द्वारा लिए गए फैसलों के कारण अकाली दल में बड़ी वैचारिक गिरावट आई है। जिसके कारण 2017 के विधानसभा चुनाव से लेकर मौजूदा लोकसभा चुनाव तक ज्यादातर सीटों पर प्रत्याशियों को जमानत जब्त होने जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि राज्य में 10 साल तक लगातार शासन करने के बाद भी पार्टी लोगों की भावनाओं के विपरीत गलत फैसले लेती रही और राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी पार्टी द्वारा भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में खड़े होकर गलत फैसला लिया गया। अयाली ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल के दो मजबूत घटक पंथ और किसान रहे हैं और जब केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का संघर्ष शुरू हुआ, तब भी पार्टी किसानों के मुद्दे पर सही समय पर फैसला नहीं ले सकी। उन्होंने कहा कि झूंदा कमेटी की सिफारिशें लागू न करने के विरोध में पिछले दो साल से पार्टी गतिविधियों से दूर रहे, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी के एक वफादार सिपाही के तौर पर उन्होंने अकाली उम्मीदवार को जिताने के लिए कड़ी मेहनत की। लेकिन नतीजे सबके सामने हैं।