रुचिका एम खन्ना/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 4 जून
पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश में भाजपा की करारी हार को किसान नेताओं ने अपनी रणनीति की सफलता बताया है। साथ ही कहा कि भाजपा को सबक सिखा दिया अब नयी रणनीति बनाएंगे। भाजपा नेताओं ने कहा, ‘हम उन्हें सबक सिखाने में कामयाब रहे। भाजपा को बेनकाब करो, उसका विरोध करो की रणनीति ने पंजाब में भाजपा की करारी हार सुनिश्चित की है। उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी उसे झटके लगे हैं।’
किसान नेताओं का कहना है कि इस क्षेत्र के किसान 2020-21 में साल भर चले किसान आंदोलन के दौरान अत्याचारों को न तो भूले हैं और न ही उन्हें माफ किया है। यही कारण है कि भाजपा पंजाब में शून्य पर सिमट गई।
एसकेएम नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, ‘उन्होंने हमें दिल्ली में प्रवेश नहीं करने दिया… हमने अपने गांवों में उनके प्रवेश का विरोध किया और किसानों से कहा कि वे उन्हें वोट न दें।’ उन्होंने कहा कि अगले दो या तीन दिनों के भीतर एसकेएम अपनी मांगों को लेकर संघर्ष के अगले चरण के लिए अपनी रणनीति को अंतिम रूप देगा। गौर हो कि पंजाब और हरियाणा में किसान यूनियनों ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा उम्मीदवारों का कड़ा विरोध किया था। भाजपा उम्मीदवार जहां भी जाते थे, यूनियन के सदस्य उनसे एमएसपी और कर्ज माफी के लिए कानूनी गारंटी पर अधूरे वादों के बारे में सवाल पूछते थे। लगभग दो महीने लंबे अभियान के दौरान अकेले पंजाब में 240 से अधिक किसान विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं, जिनमें पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संबोधित रैलियों के दौरान हुए विरोध प्रदर्शन भी शामिल हैं। कीर्ति किसान यूनियन के उपाध्यक्ष राजिंदर सिंह दीपसिंहवाला, जिन्हें विरोध प्रदर्शन के लिए हिरासत में लिया गया था और बाद में छोड़ दिया गया, ने कहा कि पंजाब के किसानों ने एक फासीवादी शासन के प्रसार को खारिज कर दिया है।