ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 15 नवंबर
कांग्रेस और आप सरकारों ने पंजाब का मजाक उड़ाया है, लेकिन भाजपा राज्य को बर्बाद नहीं होने देगी, यह बात भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने ‘द ट्रिब्यून’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कही।
कुछ दिन पहले भाजपा के शीर्ष पद से इस्तीफा देने वाले जाखड़ ने कहा कि पार्टी कई गलतफहमियों से जूझ रही है, जिसमें सिख धर्म को हिंदू धर्म में समाहित करना भी शामिल है, जिसके बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसा नहीं होगा। जाखड़ ने कहा कि उन्होंने पार्टी प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया है, क्योंकि वह 18.3 प्रतिशत वोट शेयर के बावजूद लोकसभा चुनावों के दौरान कोई भी सीट नहीं जीतने के लिए नैतिक रूप से जिम्मेदार महसूस करते हैं। साथ ही, उन्होंने कहा कि वह अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस में कभी शामिल नहीं होंगे, जिसकी उन्होंने 50 साल तक सेवा की है। जाखड़ ने कहा, ‘राहुल गांधी का पार्टी पर कोई नियंत्रण नहीं है, क्योंकि इसमें कई गुट हैं।’ उन्होंने पूछा, ‘मुझे किस कांग्रेस में शामिल होना चाहिए?’
उन्होंने कहा कि चरणजीत चन्नी और अंबिका सोनी जैसे कई पार्टी के प्रदेश नेताओं ने गहरी दरारें पैदा की हैं और जब उनसे कहा गया कि वह हिंदू होने के कारण मुख्यमंत्री के रूप में काम नहीं कर सकते हैं और बाद में उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया तो उन्हें बहुत दुख हुआ। जाखड़ ने कहा, ‘50 साल बाद, अगर हाईकमान मुझसे टेलीफोन पर बात भी नहीं कर सकता तो कम से कम मुझसे तो पूछ ले कि क्या हो रहा है?’ उन्होंने कहा कि वे कुछ समय बाद ही भाजपा में शामिल हो गए, जिसका उद्देश्य पंजाब को आईडेंटिटी पॉलिटिक्स से बचाना था। उन्होंने स्वीकार किया कि वे पूरी तरह सफल नहीं हुए।
उन्होंने स्वीकार किया कि भाजपा शायद पंजाब को पूरी तरह से नहीं समझ पाई है। उन्होंने पंजाब की अनूठी मानसिकता को समझने और इसके लोगों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘पंजाबी अलग तरह से सोचते हैं… हमारी अपनी पहचान है।’
धान खरीद संकट के बारे में उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा मिलिंग नीति की घोषणा में देरी करने के कारण समस्या उत्पन्न हुई है। इस नीति को लागू करने में आमतौर पर एक महीने का समय लगता है। उन्होंने कहा कि नीति की घोषणा 4 सितंबर को की गई थी, जिससे तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाया। जाखड़ ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और आप के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के बीच समन्वय की कमी पर जोर दिया और कहा कि दोनों के बीच संवाद और सहयोग की कमी है। उन्होंने सुझाव दिया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान भाजपा के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं, लेकिन आप नेता अरविंद केजरीवाल के टकराव वाले रवैये के कारण ऐसा करने में उन्हें दिक्कत हो रही है।