गुरतेज सिंह प्यासा/निस
संगरूर, 30 अक्तूबर
जिन किसानों का धान मंडियों में बिक्री के लिए पड़ा है, उनके घरों में दिवाली पर दीये कैसे जलेंगे यह चिंता का विषय है। कई दिनों से किसान अपनी उपज बेचने के लिए मालवा बेल्ट की अनाज मंडियों में डेरा डाले हुए हैं। कल दिवाली होने के बावजूद किसान आज मंडियों में बैठे बोली का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन कर्मचारी और अधिकारी वरिष्ठ अधिकारियों के ड्राइंग रूम में बैठकर दिवाली की शुभकामनाएं दे रहे थे। दिवाली के दो दिन पहले से ही यहां के आढ़ती अपने दूसरे काम-धंधों में व्यस्त हो जाते हैं। कई खरीद केंद्रों पर किसान आढ़तियों का इंतजार भी कर रहे थे लेकिन मंडियों में वे ‘गायब’ रहे। इस बार दिवाली दो सप्ताह पहले आने के कारण अच्छी फसल के बावजूद बाजार में गिरावट का रुख जोर पकड़ रहा है, जिससे किसानों-मजदूरों की दिवाली दुखों में घिरी हुई है। संगरूर जिले के सभी खरीद केंद्रों में किसान अपना धान बेचने के लिए बैठे हैं, लेकिन सरकार की सुस्त व्यवस्था के कारण वे अपने बेटों की तरह पाली धान की फसल बेचने लिए मंडियों में खरीद का इंतजार कर रहे हैं। शहरों की मंडियों से जुटाए गए ब्यौरे से पता चला कि परिवार का मुखिया ही मंडियों में धान की सुरक्षा कर रहा है। संगरूर के डिप्टी कमिश्नर संदीप श्रषि का कहना है कि प्रशासन की इच्छा है कि किसानों से धान की फसल बड़ी मात्रा में खरीदी जाए। उन्होंने कहा कि प्रशासन किसानों की पीड़ा को समझता है और उनके साथ खड़ा है । प्रशासन ने खरीद एजंसियों को खरीद में तेजी लाने के लिए निर्देश दिए गए हैं। साथ खरीद की गई फसल का उठान भी किया जा रहा है।