गुरतेज सिंह प्यासा/निस
संगरूर, 12 नवंबर
गिद्दड़बाहा उपचुनाव, 29 साल पहले हुए चुनाव की तरह ही एक कड़ा मुकाबला बन चुका है। यह उपचुनाव न सिर्फ स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है, क्योंकि यह आगामी 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। 1995 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और शिरोमणि अकाली दल के प्रकाश सिंह बादल के बीच गिद्दड़बाहा सीट पर कड़ा संघर्ष हुआ था और अब उसी सीट पर कांग्रेस, आप और बीजेपी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा रहा है। इस उपचुनाव में विशेष बात यह है कि 1995 में बेअंत सिंह ने मनप्रीत सिंह बादल को हराने के लिए पूरी ताकत झोंकी थी और अब उनके पोते केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू, मनप्रीत बादल की जीत के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इस बार शिरोमणि अकाली दल चुनाव मैदान से बाहर है, जिसके कारण सभी दलों की नज़र अकाली वोट पर है, क्योंकि मनप्रीत बादल और डिंपी ढिल्लों दोनों के पास अकाली वोट बैंक है। इस उपचुनाव को लेकर विधानसभा चुनाव 2027 की दिशा तय होने की उम्मीद है और चुनावी रण में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबला कड़ा हो गया है।
पंजाब का भविष्य होगा तय
कांग्रेस की ओर से अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग की पत्नी अमृता वड़िंग भी मैदान में हैं। गिद्दड़बाहा उपचुनाव, एक बार फिर से पंजाब की राजनीति में अहम मोड़ साबित हो सकता है और आगामी विधानसभा चुनाव के लिहाज से यह बेहद महत्वपूर्ण है। इन उपचुनाव से पंजाब का भविष्य भी तय होगा।