दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 24 मार्च
पंजाब में आम आदमी पार्टी ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए अच्छा कदम तो उठाया है, लेकिन कई चुनौतियां भी हैं। खुद सीएम भगवंत मान ने व्हट्सएप नंबर जारी किया है, जिसकी मॉनिटरिंग सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) के अधिकारी और वे खुद भी करेंगे। मान ने प्रदेश के लोगों से आह्वान किया है कि वे रिश्वत मांगने वाले अधिकारियों को पैसा देने से इनकार न करें बल्कि उनकी ऑडियो-वीडियो रिकार्डिंग करके इस नंबर पर भेजें। सबसे बड़ा सवाल यह है कि मोहाली में प्रदेश मुख्यालय के कई दफ्तर हैं। इनमें से कई दफ्तरों में आम लोगों के फोन लेकर अंदर जाने पर भी पाबंदी है। कई जिलों में भी ऐसे ही हालात हैं। ऐसे में आम लोग रिकार्डिंग करेंगे तो कैसे। ऐसे में भगवंत मान द्वारा जारी किया गया हेल्पलाइन नंबर आम आदमी के लिए आसान राह नहीं दिखती। एक और बड़ा सवाल यह है कि पंजाब में अब तक सत्ता में आई सरकारों ने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ इससे पहले कई अभियान चलाए हैं लेकिन कोई सिरे नहीं चढ़ा। पंजाब में सरकारें बदलने के बाद भ्रष्टाचार को खत्म नहीं हुआ अलबत्ता तरीके बदलते रहे हैं। मान ने बुधवार को शहीदी दिवस के अवसर पर 9501-200200 नंबर जारी किया है। इस नंबर पर आने वाली शिकायतों को मॉनिटर करने के लिए चार पीसीएस अधिकारियों को भी तैनात किया है। बीते 24 घंटे के दौरान इस नंबर पर करीब एक दर्जन शिकायतें भी आ चुकी हैं। एक शिकायत पंजाब के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी तथा एक बठिंडा से संबंधित तहसीलदार के खिलाफ है। सूत्रों का कहना है कि जो शिकायतें आई हैं, इनमें से कोई भी ऐसी नहीं है, जिसमें पैसे मांगने का वीडियो बनाया गया है। पंजाब में विजिलेंस ब्यूरो पहले से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ एक टोल फ्री नंबर और एक हेल्पलाइन नंबर चला रहा है। इन नंबरों को लेकर भी पंजाबवासियों का कोई खास रुझान नहीं है। पंजाब में वर्ष 1996 के दौरान सत्ता में आई अकाली-भाजपा सरकार ने भी इस तरह के हेल्पलाइन नंबर जारी करके राज्य में सभी पुलिस थानों तथा तहसीलों के आगे रिश्वतखोरों की सूचना देने के लिए बोर्ड लगाए थे। उस समय मोबाइल या सोशल मीडिया नहीं था इसलिए लैंडलाइन नंबर जारी किए गए थे। बाद में सत्ता में आयी अमरिंदर सरकार के समय यह अभियान ठंडा पड़ गया और सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए बोर्ड भी हटा दिए गए। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि उनके द्वारा जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर पर केवल भ्रष्टाचार की शिकायत ही भेजी जाए जिसमें संबंधित अधिकारी की वीडियो या ऑडियो रिकार्डिंग करके भेजा जाए।
कांग्रेस सरकार में जारी हुई ग्रांट पर रोक
पंजाब की भगवंत मान सरकार ने पूर्व चन्नी सरकार के कार्यकाल में ग्रामीण विकास के लिए जारी हुई ग्रांट के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है जिसे लेकर विपक्ष आक्रामक हो गया है। सरकार का तर्क है कि कई प्रकार की धांधलियों की रिपोर्ट के चलते यह रोक लगाई गई है। पंजाब के ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के मुख्यालय से जारी पत्र में कहा गया है कि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान गांवों में विकास कार्यों के लिए अनुदान राशि जारी की गई है, उसके इस्तेमाल पर तुरंत रोक लगाई जा रही है। विभागीय पत्र को लेकर पंजाब में जहां चौतरफा सरकार को घेरा जा रहा है वहीं पंजाब के ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा कि ऐसी शिकायतें मिल रही थी कि पिछले समय के दौरान जारी हुई ग्रांटों का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है। जिस कार्य के लिए ग्रांट जारी की गई थी वह कार्य नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि ग्रांट का इस्तेमाल बंद नहीं किया गया बल्कि पंजाब के सभी जिलों से अनुदान राशि को लेकर स्टेट्स रिपोर्ट मांगी गई है। सभी जिलों से पूछा गया है कि कितनी राशि जारी हुई है और कितनी खर्च हो चुकी है और कितनी बाकी है।
क्या है जमीनी हकीकत
मुख्यमंत्री मान से साफ कहा है कि जो भी अधिकारी या कर्मचारी पैसे मांगता है तो उसे इनकार करने की बजाए उसका वीडियो या ऑडियो बनाएं। पंजाब के लगभग सभी जिलों में आम जनता के फोन लेकर जाने पर पाबंदी के बोर्ड लगाए गए हैं। तहसीलों में अगर कोई तहसीलदार से मिलने के लिए जाता है तो मोबाइल फोन बंद करवाकर अंदर भेजा जाता है। ऐसे में व्यवहारिक रूप से यह संभव नहीं है कि एक आम आदमी किसी अधिकारी का स्टिंग आपरेशन कर सके।