चंडीगढ़, 6 अप्रैल (ट्रिन्यू)
पंजाब के प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने बुधवार को विश्व में बसे पंजाबियों को अपनी जन्म भूमि पंजाब को बेहतर बनाने के लिए आगे आने का न्यौता दिया है। धालीवाल ने अपने कार्यालय में अधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि प्रवासी भारतीयों को अपनी मातृ-भूमि की खुशहाली के लिए अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। पंजाब के प्रवासी भारतीय मामलों संबंधी मंत्री ने विभाग के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि दो सप्ताह में एनआरआई नीति का मसौदा पेश किया जाए। मुख्यमंत्री के साथ विचार-विमर्श के बाद इसे लागू किया जाएगा। मंत्री ने अधिकारियों को कहा कि प्रवासी भारतीयों के कल्याण और सुविधा के लिए पारदर्शी और तर्कसंगत एनआरआई नीति तैयार की जाये जिससे उनकी शिकायतों के जल्द निपटारे को यकीनी बनाया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि नई नीति निवेश के लिए आसान और वन स्टाप क्लीयरेंस की सुविधा प्रदान करेगी। विदेशों में बसते ज़्यादातर पंजाबी अपने पैतृक गांवों की बेहतरी और विकास के लिए सेवा के तौर पर बड़े योगदान डालना चाहते हैं। स्वास्थ्य, खेल, शिक्षा के क्षेत्रों और गांवों के तालाबों की नुहार बदलने में प्रवासी भारतीयों के सहयोग और योगदान का स्वागत करते हुये मंत्री ने कहा कि नई नीति उन सभी रुकावटों को दूर करेगी जो प्रवासियों को राज्य के विकास के लिए ऐसे नेक कामों के अमल में रुकावट बनती हैं। धालीवाल ने यह भी कहा कि कई प्रवासी भारतीय गांवों में पुस्तकालय बनाने में काफी रुचि रखते हैं। इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को हिदायत की है कि इस नेक कार्य के लिए समूह एनआरआई को सही मार्गदर्शन और सहायता की जाए।
बिजली मंत्री ने केंद्रीय मंत्रियों से की मुलाकात
पंजाब में चल रहे गंभीर कोयला संकट तथा बिजली उत्पादन में आ रही गिरावट के मुद्दे पर पंजाब के बिजली मंत्री हरभजन सिंह ने बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय कोयला और खनन मंत्री प्रह्लाद जोशी तथा केंद्रीय बिजली, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह के साथ आज बैठक की। बिजली मंत्री ने कहा कि धान के सीजन के दौरान पंजाब में बिजली की मांग बढ़ जाती है। सरकार के स्वामित्व वाले थर्मल पावर स्टेशनों के सभी यूनिट चलाने पड़ते हैं।उन्होंने कहा कि आने वाले धान के सीजन के दौरान बिजली की मांग बढ़कर 15000 मैगावाट होने की संभावना है। कैबिनेट मंत्री की तरफ से कोयले संबंधी सब ग्रुप कमेटी के द्वारा राज्य के अपने प्लांटों और प्राइवेट थर्मल प्लांटों के लिए किए गए कोयले के वितरण के मुकाबले कोयले के कम रेकों की सप्लाई होने का मुद्दा भी उठाया गया।