सौरभ मलिक/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 10 नवंबर
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब राज्य चुनाव आयोग द्वारा फिरोजपुर जिले के चक हराज गांव में पंचायत चुनाव रद्द करने के आदेश को निरस्त कर दिया है। जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की पीठ ने राज्य चुनाव आयोग के आदेश को अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन माना और उसे चुनाव ट्रिब्यूनल के दायरे में हस्तक्षेप बताते हुए खारिज कर दिया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला चुनाव ट्रिब्यूनल के अधिकार में आता है, जिसे पंजाब राज्य चुनाव आयोग अधिनियम, 1994 के तहत ही सुलझाया जाना चाहिए। इस फैसले के बाद अब चक हरजा गांव की सरपंच पद के लिए एकमात्र उम्मीदवार सिमरप्रीत कौर निर्विरोध चुनी जाएंगी।
अधिकार सीमा का उल्लंघन : अदालत ने राज्य चुनाव आयोग के चुनाव रद्द करने के आदेश को इस आधार पर गलत ठहराया कि कुछ उम्मीदवारों की नामांकन प्रक्रिया में कथित धांधली का दावा किया गया था। नामांकन रद्द होने पर उम्मीदवारों ने राज्य चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि उनके नामांकन ‘दुर्भावना’ के आधार पर अस्वीकृत हुए हैं। राज्य चुनाव आयोग ने इस पर कार्रवाई करते हुए 15 अक्तूबर को निर्धारित चुनाव को रद्द कर दिया, जिससे एकमात्र बचे उम्मीदवार सिमरप्रीत कौर को निर्विरोध जीतने का अधिकार खो गया।
चुनाव रद्द करने का अधिकार केवल ट्रिब्यूनल के पास
अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि 11 अक्तूबर के आदेश को रद्द किया जाता है और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि चक हराज गांव की सरपंच पद के लिए याचिकाकर्ता को निर्विरोध विजयी घोषित किया जाए। अदालत ने पंजाब राज्य चुनाव आयोग अधिनियम की धारा 89 का हवाला देते हुए कहा कि नामांकन अस्वीकृति के आधार पर चुनाव रद्द करने का अधिकार केवल चुनाव ट्रिब्यूनल के पास है, राज्य चुनाव आयोग के पास नहीं। इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का भी उल्लेख किया गया, जिसमें चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से बचने का निर्देश दिया गया था।