चंडीगढ़, 23 मार्च (ट्रिन्यू)
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को शहीद-ए-आजम भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़ कलां में श्रद्धांजलि अर्पित करने के उपरांत कहा कि पंजाब सरकार द्वारा शहीद भगत सिंह, शहीद राजगुरू और शहीद सुखदेव को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए ठोस और सहृदय यत्न किये जाएंगे।
शहीद भगत सिंह के भतीजे स्व.अभय संधू की पत्नी तेजी संधू, अभय संधू की बेटी अनुश प्रिया, प्रभदीप सिंह बैनीवाल,हकूमत सिंह मल्ली,जोरावर सिंह संधू, गौरव संधू, कन्नगी संधू और अन्य पारिवारिक सदस्यों के साथ बातचीत करते हुये मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि भारत की आज़ादी के संघर्ष के महान नायक और उनके दोनों साथियों को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए हमारी सरकार हरसंभव यत्न करेगी, जिन्होंने छोटी उम्र में देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी।
उन्होंने अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए कहा कि यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज़ादी के 70 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इन राष्ट्रीय नायकों को यह दर्जा नहीं दिया गया। भगवंत मान ने कहा कि देश को बर्तानवी साम्राज्यवाद के चंगुल में से निकालने के लिए समूची कौम सरदार भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव की अद्वितीय शहादत की सदा ऋणी रहेगी। शहीद-ए-आज़म भगत सिंह के सपनों को साकार करने के लिए लोगों के पूर्ण सहयोग की मांग करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार शहीद भगत सिंह की सहृदय सोच पर डट कर पहरा देने और खुशहाल और समानता वाले समाज की सृजन करने के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि आज़ादी संघर्ष के नौजवान नायक ने देश को विदेशी साम्राज्यवादी ताकतों से मुक्त करवाने के लिए छोटी उम्र ही अपनी जान कुर्बान कर दी थी। मुख्यमंत्री ने अफ़सोस ज़ाहिर करते हुये कहा कि अब तक देश और राज्य में सत्ता संभालने वालों ने शहीद भगत सिंह के सपने को व्यवहारिक रूप देने के लिए कुछ भी नहीं किया। मुख्यमंत्री ने खटकड़ कलां स्थित संग्रहालय घर का दौरा भी किया। भगवंत मान ने विज़टर बुक में लिखा, ‘खटकड़ कलां की पवित्र धरती हमेशा मेरे दिल के बहुत नज़दीक रही है। संग्रहालय में दर्शाये गये शहीद के जीवन विवरणों और निजी चीजों ने मुझे भावुक कर दिया है। शहीद-ए-आज़म के सपनों को साकार करना हमारा नैतिक फर्ज है।’ मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर शहीद के पारिवारिक सदस्यों को भी सम्मानित किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव ए.वेणु प्रसाद, पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव हुसन लाल, डिविजऩल कमिशनर मनवेश सिद्धू, पर्यटन विभाग के विशेष सचिव कंवरप्रीत कौर, डिप्टी कमिशनर विशेष सारंगल, सीनियर पुलिस कप्तान कंवरदीप कौर और अन्य उपस्थित थे।
खटकड़ कलां में कभी रहे नहीं भगत
नयी दिल्ली (एजेंसी) : खटकड़ कलां गांव को वैसे तो हमेशा भगत सिंह के पैतृक स्थान के रूप में जाना जाता है, लेकिन न तो उनका जन्म उस गांव में हुआ और न ही वे कभी वहां रहे। भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को लायलपुर जिले के बंगा गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। जानकारों ने बताया कि उन्होंने अपने दादा अर्जन सिंह के साथ खटकड़ कलां के कई दौरे किए, लेकिन वहां रहे नहीं। लुधियाना में रहने वाले भगत सिंह के भतीजे जगमोहन सिंह ने बताया, ‘अर्जन सिंह अपने पोते भगत सिंह और जगत सिंह, जिनकी 1916 या 1917 की शुरुआत में फ्लू के कारण मृत्यु हो गई थी, को हर गर्मियों में खटकड़ कलां और घर में लाया करते थे। मेरे परिवार में हर कोई इस बारे में जानता था।’ जगमोहन (77) ने कहा, ‘मैंने खटकड़ कलां में भगत सिंह की उम्र के लोगों से बातचीत की, जिन्होंने इस बात को सही बताया। हां, यह निश्चित तथ्य है कि भगत सिंह कई बार गांव गए थे।’ भगत सिंह पर कई किताब लिख चुके इतिहासकार चमन लाल ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी ने भले ही गांव का दौरा किया हो, लेकिन अपने जीवन में कभी भी वहां नहीं रहे। 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को अंग्रेेज सरकार ने फंासी दे दी थी।