अनिल शर्मा/निस
रोहतक, 25 जून
प्रदेश के खिलाड़ियों में अब विटामिन डी के स्तर की जांच की जाएगी, बाकायदा इसके लिए खेल चिकित्सा विभाग और खेल चोट केंद्र, पीजीआई की टीम ने इसकी शुरुआत कर दी है और खिलाड़ियों के नमूने एकत्रित करने शुरु कर दिये है। बातया जा रहा है कि शोध में भी यह बात सामने आई है कि विटामिन डी की कमी के चलते खिलाड़ियों में प्रतिरक्षा कम हो जाती है और बार-बार संक्रमण होने का भी खतरा बढ़ जाता है। अब खिलाड़ियों में विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए उन्हें धूप के अलावा अन्य महत्वपूर्ण शाकाहारी स्रोत के बारे में जानकारी दी जा रही है। चिकित्सकों का कहना है कि खिलाड़ियों में विटामिन डी की कमी गंभीर समस्या है और समय पर इस ओर ध्यान दिया जाए तो इस कमी को पूरा किया जा सकता है। मंगलवार को खेल चिकित्सा विभाग और खेल चोट केंद्र पीजीआईएमएस की एक टीम ने छोटूराम स्टेडियम में अभ्यास कर रहे खिलाड़ियों के नमूने एकत्र करने के लिए पहुंची और नमूने लिये।
हरियाणा के खिलाड़ियों में विटामिन डी के स्तर का आकलन करने के लिए स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा एक परियोजना को मंजूरी दी गई है। सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने से शरीर में विटामिन डी का उत्पादन होता है, विटामिन डी के अन्य महत्वपूर्ण शाकाहारी स्रोत मशरूम और फोर्टिफाइड दूध हैं। खिलाड़ियों में अक्सर विटामिन डी की कमी पाई जाती है और इसके कम स्तर से खिलाड़ियों का प्रदर्शन स्तर कम हो जाता है और प्रतिरक्षा कम हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप बार-बार संक्रमण होता है। टीम में डॉ. राजेश रोहिल्ला वरिष्ठ प्रोफेसर और खेल चिकित्सा विभाग के प्रमुख और खेल चोट केंद्र, डॉ. सोनू, डॉ. मंदीप खेल मनोवैज्ञानिक और डॉ. दीपशिखा खेल फिजियोथेरेपिस्ट शामिल रहे। डॉ. राजेश रोहिल्ला ने हरियाणा के खिलाड़ियों में विटामिन डी के स्तर का आकलन करने की महत्वपूर्ण परियोजना को मंजूरी देने के लिए विश्वविद्यालय के अधिकारियों को धन्यवाद दिया, साथ ही इससे खिलाड़ियों को काफी फायदा मिलेगे, उन्हें समय पर जानकारी मिल पाएगी कि आखिर शरीर में विटामिन डी की कमी है या पूरा है। पहलवान सोनू ने बताया कि कई बार उन्हें इन बातों को पता नहीं होता है और कड़ी मेहनत के बाद भी रिजल्ट सही नहीं आता है।