हरीश भारद्वाज/हमारे प्रतिनिधि
रोहतक, 7 फरवरी
जिले के महम क्षेत्र में किसानों को कपास बेचने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। किसानों का आरोप है कि सरकारी एजेंसी द्वारा उनकी अधिकांश कपास को रिजेक्ट किया जा रहा है। ऐसे में किसानों को अपनी कपास प्राइवेट मिल मालिकों को सस्ते रेट में बेचनी पड़ रही है। सरकारी खरीद एजेंसी कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) 3 महीने में मात्र 11 हजार क्विंटल कपास ही महम क्षेत्र से खरीद पाई है। सीसीआई अधिकारी का कहना है कि किसानों द्वारा लाई जा रही कपास की क्वालिटी बढ़िया नहीं है। सरकारी मापदंडों पर खरी नहीं उतर रही।
महम में पिछले दो साल से कपास की सरकारी खरीद बंद थी। इस बार 9 नवम्बर को कपास की सरकारी खरीद शुरू हुई थी। 3 महीने में सीसीआई ने 11 हजार क्विंटल कपास खरीदी है। जबकि वर्ष 2020-21 में सीसीआई ने करीब 2 लाख क्विंटल कपास खरीद ली थी।
महम में कपास बेचने आए किसानों बिजे, दयानंद, रणबीर, सुनील, महावीर, राज आदि ने बताया कि खरीद एजेंसी सीसीआई के पर्चेज अधिकारी कपास की क्वालिटी डाउन होने की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी भाव 6770 रुपए प्रति क्विंटल है लेकिन सीसीआई अधिकारियों द्वारा कपास रिजेक्ट करने के बाद वे 5500-6000 प्रति क्विंटल भाव से कपास बेचने को मजबूर हैं।
अधिकारी बोले गुलाबी सुंडी का है प्रकोप : सीसीआई पर्चेज अधिकारी बनवारी ने बताया कि किसानों द्वारा लाई जा रही कपास में गुलाबी सुंडी का प्रकोप है। जिसके कारण कपास में पीलापन व आरडी चमक कम है। उन्होंने कहा कि क्वालिटी डाउन होने की वजह से किसानों की कपास रिजेक्ट हो रही है। जिसकी क्वालिटी बेहतर है उसे निर्धारित मूल्य पर खरीद रहे हैं।
मित्तल कॉटन मिल के मालिक सुनील मित्तल ने बताया कि क्षेत्र में कपास की पैदावार कम है। जो कपास आ रही है उसकी क्वालिटी बढ़िया नहीं है। क्वालिटी अच्छी न होने के कारण कम भाव में कपास खरीद रहे हैं। उन्हें भी सप्लाई करने में काफी परेशानी आ रही है।