सुभाष रस्तोगी
दिविक रमेश, हिंदी के सुप्रतिष्ठित कवि, बाल-साहित्यकार, अनुवादक और चिंतक हैं, जिनकी लगभग 85 पुस्तकें विभिन्न विधाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें 14 कविता-संग्रह, काव्य-नाटक ‘खंड खंड अग्नि’, और बाल-साहित्य की लगभग 50 पुस्तकें शामिल हैं। इसके अलावा, उनके पास कहानी-संग्रह, अनुवाद, और आलोचना की 8-8 पुस्तकें भी हैं। उन्हें कई प्रमुख पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जैसे साहित्य अकादमी का बाल-साहित्य पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, और गिरिजा कुमार स्मृति राष्ट्रीय पुरस्कार।
दिविक रमेश कोरियाई साहित्य को हिंदी में प्रस्तुत करने में अग्रगण्य हैं। 1994 से 1997 तक, उन्होंने आईसीसीआर (भारत सरकार) की ओर से दक्षिण कोरिया के हांगुक विश्वविद्यालय में अतिथि आचार्य के रूप में कार्य किया। उनकी हालिया कृति ‘किम सोवल की कविताएं – चयन और हिंदी अनुवाद’ कोरियाई कवि किम सोवल की 65 कविताओं का संकलन है, जिनका चयन और अनुवाद दिविक रमेश ने किया है। किम सोवल का असली नाम किम चोंगसिक था, और वे आधुनिक कोरिया के प्रमुख कवियों में माने जाते हैं।
कविता का अनुवाद एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है, क्योंकि अनुवादक को मूल कविता की जातीयता, मार्मिकता और भावनाओं को दूसरी भाषा में लयबद्धता के साथ प्रस्तुत करना होता है। दिविक रमेश ने इस क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त की है। उनकी कृति में किम सोवल की संपूर्ण छवियां और बिंबात्मक ध्वनियां पाठकों के समक्ष प्रस्तुत होती हैं।
किम सोवल की कविता ‘पहाड़ों में फूल’ जीवन के एक महत्वपूर्ण दर्शन को उजागर करती है। उनकी रचनाएं प्रेम के अवसाद की गहरी अभिव्यक्ति करती हैं, जिसमें वे अकेलेपन और पीड़ा का अनुभव साझा करते हैं। कई विद्वानों का मानना है कि किम सोवल ने प्रेम में असफलता के कारण आत्महत्या की थी, जिससे उनकी कविताओं में अवसाद का भाव प्रकट हुआ है। उनकी कविता में यह पंक्तियां ध्यान देने योग्य हैं: ‘जब जकड़ती है मुझे तुम्हारी तड़प, बहने लगती है आंसुओं की नदी मेरे गालों पर।’
किम सोवल की कविताओं में पूर्वजों की दास्तानों का भी उल्लेख मिलता है, जो उनकी पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनकी सादगी, स्वाभाविकता, और मार्मिकता उन्हें कालजयी बनाती है। दिविक रमेश का अनुवाद कोरियाई कविता की ओर खुलती एक खिड़की है, जिससे पाठक इस साहित्य की गहराई में झांक सकते हैं।
पुस्तक : किम सोवल की कविताएं चयन और हिंदी अनुवादक : दिविक रमेश प्रकाशक : साहित्य अकादमी, नयी दिल्ली पृष्ठ : 108 मूल्य : रु. 160.