डॉ. अश्वनी शांडिल्य
कुणाल सिंह के कहानी संग्रह ‘अन्य कहानियां तथा झूठ’ में कुल तेरह कहानियां शामिल हैं, जो परंपरागत लेखन की सीमाओं को पार कर समकालीन और प्रासंगिक मुद्दों की ओर इशारा करती हैं। इन कहानियों में ग्रामीण जीवन, जमींदारी प्रथा का अंत, विज्ञापन का मानव जीवन पर प्रभाव, पुलिस का चरित्र, आर्थिक विवशता, वेश्यावृत्ति, बेरोजगारी, नारी की सोच और स्थिति, दांपत्य जीवन की दरारें, महिलाओं से यौन दुर्व्यवहार, प्राइवेट कंपनियों का शोषण, गरीबी, शरीर की भूख, प्रेम, लड़कियों का मनोविज्ञान, प्रेम में लिव-इन, और ऑनर किलिंग जैसे विविध और समकालीन विषयों को छूने की कोशिश की गई है।
संग्रह की विशेषता लेखक की कहन शैली में निहित है, जो गंभीर चिंतन, प्रौढ़ता और विविधता के साथ-साथ कल्पना की रोचकता और अनुपमता को उजागर करती है। हर कहानी में पात्रों का चरित्र चित्रण प्रभावशाली संवादों और भाषा शैली के माध्यम से जीवंत हो जाता है। उदाहरण के लिए, ‘सनातन बाबू का दांपत्य’ में लेखक ने सुंदर और रोचक फैंटेसी की रचना की है, जिसमें सनातन बाबू के माध्यम से कल्पना की दुनिया को दर्शाया गया है। ‘आखेटक’ में गरीबी से जूझ रही जुल्फिया के शारीरिक संबंधों की विवशता को और ‘साइकिल कहानी’ में चाची की नैतिकता और शरीर की भूख को चित्रित किया गया है। ‘डूब’ पंजाब में आतंकवाद के दौर की मार्मिक कहानी है, जिसमें लड़की मनजोश की मानसिक स्थिति का गहराई से चित्रण किया गया है।
इसके अतिरिक्त, संग्रह में ‘शोकगीत’, ‘उपसंहार’, ‘इतवार नहीं’, ‘प्रेमकथा में मोजे की भूमिका का आलोचनात्मक अध्ययन’, और ‘झूठ’ जैसी कहानियां भी उल्लेखनीय हैं। कुणाल सिंह की किस्सागोई, चिंतन, कल्पना, और भाषा की त्रिवेणी संग्रह को साहित्यिक दृष्टि से प्रतिष्ठा देती है।
कुछ उद्धरण, जैसे ‘हर ज़माने में लोगों के पास सच्ची चिंताओं के साथ झूठी दिलासाएं होती हैं’ और ‘एक बासी गाना अधबुझे चूल्हे के धुएं की तरह उड़ता हुआ बह रहा था,’ लेखक की गहराई और संवेदनशीलता को दर्शाते हैं। हालांकि कुछ कहानियों में साधारण पाठकों को गहरे सोचने की आवश्यकता हो सकती है।
पुस्तक : अन्य कहानियां तथा झूठ लेखक : कुणाल सिंह प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन, प्रयागराज पृष्ठ : 214 मूल्य : रु. 299.