देहरादून, 18 जुलाई (भाषा)
Kedarnath replica: दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति के निर्माण के विरोध में उत्तराखंड कांग्रेस 24 जुलाई से ‘केदारनाथ बचाओ’ पदयात्रा निकालेगी जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता हरीश रावत भी शामिल होंगे। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने यहां बताया कि यह यात्रा 24 जुलाई को हरिद्वार से शुरू होगी और इसका समापन केदारनाथ धाम में किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि हरिद्वार में हर की पौड़ी पर गंगा स्नान करने के बाद गंगाजल भरकर कांग्रेस कार्यकर्ता यात्रा पर रवाना होंगे। उन्होंने बताया कि गढ़वाल के विभिन्न क्षेत्रों से गुजरते हुए इस यात्रा के 14-16 दिनों में केदारनाथ धाम पहुंचने की उम्मीद है।
माहरा ने कहा कि केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड में है और किसी अन्य जगह उसके प्रतीकात्मक निर्माण का विरोध किया जाएगा। इस बीच, वरिष्ठ पार्टी नेता हरीश रावत ने कहा कि वह भी पार्टी के इस कार्यक्रम में ऋषिकेश और अगस्त्यमुनि में भाग लेंगे।
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में रावत ने कहा, ‘‘मैं भी इस यात्रा में ऋषिकेश और अगस्तमुनि में भाग लूंगा। धाम और परम आदरणीय शंकराचार्यों के सम्मान को बचाने की लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में तो धाम बनाने की होड़ लगी हुई है।”
उन्होंने कहा कि सतपाल महाराज और गणेश जोशी (उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री) ने अपने पास धाम बनवाने का ‘कॉपीराइट’ ले रखा है और अब उनकी राह पर (मुख्यमंत्री) पुष्कर सिंह धामी भी बढ़ते दिख रहे हैं।
रावत ने कहा कि जब तक अपने इस गंभीर अपराध के लिए भाजपा माफी नहीं मांगेगी, तब तक केदारनाथ सम्मान बचाओ संघर्ष जारी रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा ने ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद जी के अपमान के लिए कई शंकराचार्य बना दिए।
एक ट्रस्ट द्वारा दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति का निर्माण प्रस्तावित है जिसका शिलान्यास मुख्यमंत्री धामी ने किया था। इसके बाद से ही धामी और सत्ताधारी भाजपा केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के निशाने पर हैं जो उन पर केदारनाथ धाम का महत्व कम करने का आरोप लगा रहे हैं ।
मुख्यमंत्री इस बारे में पहले ही स्प्ष्टीकरण दे चुके हैं जबकि मंदिर बनवाने वाले ट्रस्ट के प्रमुख सुरिंदर रौतेला भी मंदिर निर्माण से सरकार का कोई संबंध न होने की बात कह चुके हैं, लेकिन इससे जुड़ा विवाद समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है ।
उधर, राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि भाजपा विधायक शैलारानी रावत के निधन से रिक्त हुई केदारनाथ सीट पर जल्द उपचुनाव की संभावना को देखते हुए यह विवाद फिलहाल थमता नहीं दिखाई देता।
उन्होंने कहा कि हाल में प्रदेश में हुए दो विधानसभा उपचुनावों (मंगलौर और बदरीनाथ सीट पर) में मिली जीत से उत्साहित कांग्रेस केदारनाथ सीट पर भी अपना वही प्रदर्शन दोहराने का मौका नहीं छोड़ेगी ।