नई दिल्ली, 8 अगस्त (भाषा)
Uproar in Rajya Sabha: पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक मुकाबले से पहले भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट को अयोग्य ठहराये जाने के मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग को राज्यसभा में आसन की ओर से खारिज किए जाने के बाद विपक्ष ने बृहस्पतिवार को उच्च सदन से बहिर्गमन किया।
इस दौरान विपक्ष के कुछ सदस्यों के अमर्यादित आचरण से दुखी होकर सभापति जगदीप धनखड़ यह कहते हुए आसन छोड़कर चले गए कि वह कुछ समय के लिए आसन पर बैठने में खुद को सक्षम नहीं पा रहे हैं। सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए और उसके बाद शून्यकाल आरंभ करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अजीत गोपचड़े को अपना मुद्दा उठाने को कहा।
इस पवित्र सदन को अराजकता का केंद्र बनाना, भारतीय प्रजातंत्र के ऊपर कुठाराघात करना, अध्यक्ष की गरिमा को धूमिल करना, शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण वातावरण बनाना – यह अमर्यादित आचरण नहीं, बल्कि हर सीमा को लांघित करने वाला आचरण है।@VPIndia #RajyaSabha #265RajyaSabhasession pic.twitter.com/SH1joeO1nV
— SansadTV (@sansad_tv) August 8, 2024
इसके तुरंत बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित विपक्ष के कुछ सदस्य अपने स्थान पर खड़े हो गए और फोगाट को अयोग्य ठहराए जाने के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग करने लगे। हंगामे के बीच ही गोपचड़े अपना मुद्दा उठा रहे थे। इसी दौरान तृणमूल के डेरेक ओब्रायन कुछ कहते हुए सुने गए।
सभापति ने जब हंगामा कर रहे सदस्यों की बात को अनसुनी कर दिया तो सदन में शोरगुल और तेज हो गया। विपक्षी सदस्यों की ओर से फोगाट के समर्थन में नारेबाजी शुरू कर दी गई। सभापति ने इसके बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को मौका दिया।
उन्होंने कहा कि कल ही हमने यह मुद्दा उठाया था और यह बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह मुद्दा व्यक्तिगत तौर पर किसी के लिए चिंता में डालने वाला नहीं है।” खड़गे अभी बोल ही रहे थे कि सभापति ने उनसे पूछा कि वह कौन सा मुद्दा उठाना चाहते हैं। खड़गे ने कहा कि फोगाट का मुद्दा।
इस पर सभापति ने खड़गे से पूछा कि क्या वह इस मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं? नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘‘चर्चा कीजिए…इसके पीछे कौन है? और कैसे केवल 100 ग्राम…।” सभापति ने खड़गे को मुद्दा उठाने देने से रोकते हुए कहा कि वह इस सदन को ऐसे मंच के रूप में इस्तेमाल नहीं करने देंगे।
उन्होंने खड़गे से कहा कि वह नियमों का उपयोग करें। इसी दौरान विपक्ष के सदस्यों का हंगामा शुरू हो गया। हंगामा देख सभापति ने डेरेक का नाम लेकर कहा कि वह आसन पर चिल्ला रहे हैं। उन्होंने डेरेक से कहा, ‘‘सदन में आपका आचरण सबसे खराब है। आप आसन पर चिल्ला रहे हैं। मैं इसकी निंदा करता हूं। अगली बार मैं आपको दरवाजा दिखा दूंगा। आपने आसन पर चिल्लाने की हिम्मत कैसे की?”
विपक्ष के नेता की ओर हाथ करते हुए सभापति ने कहा कि और वरिष्ठ नेता इस पर (डेरेक के आचरण पर) कोई ध्यान नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण आचरण है।” इसी दौरान समूचा नारेबाजी करता हुआ समूचा विपक्ष सदन से बहिर्गमन कर गया। सभापति ने इस पर कहा, ‘‘हमने सबसे बदसूरत दृश्य देखा है। हमने आपातकाल के दौरान लोकतंत्र का काला दौर देखा है। हम जानते हैं कि यह कैसे शुरू होता है। इसकी शुरुआत सबसे पहले संसदीय संस्थाओं को चुनौती देने से होती है। और यह चुनौती जून 1975 में दी गई थी। यहां एक गंभीर चुनौती थी। क्या कोई इस तरह का आचरण कर सकता है।”
सभापति की इस टिप्पणी के बाद सदन के नेता जे पी नड्डा ने कहा कि विपक्ष ने आसन को तकलीफ पहुंचाई और यह संसदीय मर्यादाओं का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘यह सच में निंदनीय है।”
उन्होंने विशेषतौर पर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के आचरण की निंदा करते हुए कहा कि यह उनके लिए चिंतन करने वाला प्रश्न है। उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक विनेश फोगाट का सवाल है। यह पक्ष और विपक्ष का सवाल नहीं है। यह देश का सवाल है। सारा देश उनके साथ खड़ा है। यह भारतीय खेल को आगे बढ़ाने का विषय है, जिसमें सब लोग भावनात्मक तरीके से जुड़े हुए हैं और विनेश के साथ खड़े हैं।”
उन्होंने कहा कि खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विनेश को चैंपियन ऑफ चैंपियंस कहा है और यह भी कहा है कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है। उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य इस बात का है इसको भी हम पक्ष और विपक्ष में बांटने का प्रयास कर रहे हैं। शायद विपक्ष विषय विहीन हो चुका है। मुद्दा विहीन हो चुका है। कोई ठोस मुद्दा नहीं है उनके पास।”
इसके बाद धनखड़ ने कहा कि इस पवित्र सदन को अराजकता का केंद्र बनाना, भारतीय प्रजातंत्र के ऊपर कुठाराघात करना, सभापति की गरिमा को धूमिल करना और शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण वातावरण बनाना यह अब मर्यादित आचरण नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं हाल के दिनों में देख रहा हूं, जिस तरीके से आसन को चुनौती दी जा रही है।
शब्दों से, पत्र के द्वारा, अखबार के माध्यम से…कितनी गलत टिप्पणी की है। मैंने देखा है। मेरे को यह चुनौती नहीं दी जा रही है। यह सभापति के पद को दी जा रही है। यह चुनौती है इसलिए दी जा रही है कि जो व्यक्ति इस पद पर बैठा है वह इसके लायक नहीं है, ऐसा यह सोचते हैं।”
धनखड़ ने कहा कि उन्हें सदन का जितना समर्थन मिलना चाहिए था उतना नहीं मिला है जबकि उन्होंने प्रयास में कोई कमी नहीं रखी है। उन्होंने कहा, ‘‘अब मेरे पास एक ही विकल्प है। दुखी मन से… मैं अपनी शपथ से दूर नहीं भाग रहा हूं पर जो आज मैंने देखा है… जिस तरीके का व्यवहार सदस्य ने किया है… शारीरिक रूप से किया है… जिस तरीके का व्यवहार इधर (विपक्ष) से भी हुआ है। मैं कुछ समय के लिए बैठने में अपने आप को सक्षम नहीं पा रहा हूं। मैं दुखी मन से…” इतना कहते हुए धनखड़ आसन छोड़कर चले गए।
इसके बाद उपसभापति हरिवंश ने शून्यकाल की कार्यवाही का संचालन किया। विनेश को बुधवार को महिलाओं के 50 किग्रा वर्ग के फाइनल से पहले 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण अयोग्य ठहराया गया था। उन्होंने आज सुबह संन्यास की घोषणा की।