शिमला, 19 नवंबर (ट्रिन्यू)
Himachal Bhawan: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने नई दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को अटैच करने का आदेश दिया है। यह आदेश हिमाचल सरकार द्वारा सेली हाइड्रो कंपनी को 64 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान वापस न करने के कारण दिया गया है। अदालत ने इस राशि पर सात प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान करने का निर्देश दिया है।
जस्टिस अजय मोहन गोयल ने सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड द्वारा ऊर्जा विभाग के विरुद्ध दायर अनुपालना याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। दरअसल, 2009 में राज्य सरकार ने लाहौल-स्पीति जिले में 320 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना सेली हाइड्रो कंपनी को आवंटित की थी।
कंपनी ने इस परियोजना के लिए 64 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान किया था। हालांकि, परियोजना के लिए बुनियादी ढांचे की जिम्मेदारी राज्य सरकार की थी, जिसे पूरा नहीं किया गया। कंपनी ने 2017 में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपना अग्रिम भुगतान वापस मांग लिया। सरकार ने न केवल इस राशि को जब्त कर लिया, बल्कि 2017 में परियोजना का लेटर ऑफ एग्रीमेंट भी समाप्त कर दिया।
जस्टिस अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने निर्देश दिया कि हिमाचल भवन, सिकंदर रोड, नई दिल्ली, को अटैच किया जाए। बिजली विभाग के सचिव मामले की जांच 15 दिनों में करें और उन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करें, जिन्होंने कंपनी को राशि वापस करने में लापरवाही की। अधिकारियों से व्यक्तिगत रूप से ब्याज की रकम वसूली जाए। मामला अब 6 दिसंबर 2024 को फिर से सुना जाएगा।
जयराम ठाकुर बोले- यह राज्य सरकार की अक्षम्य विफलता
पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने इस स्थिति को राज्य सरकार की “अक्षम्य विफलता” बताया। उन्होंने कहा, “हिमाचल भवन राज्य की पहचान है और इसे अटैच करने का आदेश हर हिमाचली के लिए शर्मनाक है।” उन्होंने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इतने वकील नियुक्त करने के बावजूद सरकार अदालत में अपना पक्ष ठीक से नहीं रख सकी। उन्होंने यह भी कहा, “अगर यही स्थिति रही तो राज्य विधानसभा और सचिवालय को भी अटैच होने में देर नहीं लगेगी।”