वाशिंगटन, 4 नवंबर (एजेंसी)
चुनावी अनिश्चितता के बीच अमेरिका बुधवार को पेरिस जलवायु संधि से औपचारिक रूप से अलग हो गया।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन में कटौती से संबंधित इस ऐतिहासिक करार से अमेरिका को अलग करने का अपना इरादा 2017 में प्रकट किया था। उन्होंने पिछले साल संयुक्त राष्ट्र को औपचारिक रूप से इस संबंध में अधिसूचित किया था।
अब अमेरिका अनिवार्य एक साल की प्रतीक्षा अवधि पूरी हो जाने पर इस करार से बाहर आ गया। इस करार में धरती के बढ़ते तापमान को 2 डिग्री के नीचे रखने की व्यवस्था पर बल दिया गया है। यह एक ऐसा आंकड़ा है जिसके संबंध में जलवायु विज्ञानियों का मानना है कि यदि तापमान इससे ऊपर गया तो विनाशकारी परिणाम होंगे।
ट्रंप का दावा है कि इससे 2025 तक उनके देश में 25 लाख नौकरियां चली जाएंगी। उन्होंने यह भी कहा कि इससे चीन और भारत जैसे बड़े उत्सर्जकों को बड़ी छूट मिल जाएगी। अमेरिका इस वैश्विक करार से निकलने वाला एकमात्र देश हैं। वह अब भी इस संबंध में वार्ता कर सकता है और अपनी राय रख सकता है लेकिन अब उसकी स्थिति बस ‘पर्यवेक्षक’ की होगी।