लंदन, 24 जुलाई (एजेंसी)
हैदराबाद के आठवें निजाम शहजादा मुकर्रम जाह ने कहा है कि उनके पूर्वजों के ब्रिटेन के एक बैंक में रखे खजाने को लेकर दशकों से चल रही कानूनी लड़ाई से वह अलग होना चाहते हैं। दरअसल, पिछले साल के एक ब्रिटिश हाईकोर्ट के निर्णय के बाद उन्होंने अनुमानित चार लाख पाउंड में अपने हिस्से पर अधिकार छोड़ दिया है।
लंदन स्थित हाईकोर्ट में बुधवार और बृहस्पतिवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हुई सुनवाई में जस्टिस मारकस स्मिथ ने निजाम के विस्तारित परिवार के सदस्यों की वह कोशिश खारिज कर दी, जिसके तहत वे 1947 में भारत के विभाजन के समय से लंदन के एक बैंक में पड़े करीब 3.5 करोड़ पाउंड की कुल रकम पर दावा पेश कर रहे हैं। इस खजाने का बड़ा हिस्सा शहजादा जाह, उनके छोटे भाई और भारत के बीच कानूनी रूप से बांटा गया। इस खजाने पर पाकिस्तान के दावे को अक्तूबर 2019 में एक अदालती आदेश द्वारा खारिज किये जाने के बाद ऐसा किया गया। हालांकि, हैदराबाद के दिवंगत सातवें निजाम को प्राप्त होने वाली रकम का एक हिस्सा करीब 4,00,000 पाउंड होने का अनुमान है।
मामले में 2013 में कार्यवाही शुरू होने के बाद से आठवें निजाम का प्रतिनिधित्व कर रहे लॉ फर्म विदर्स एलएलपी ने कहा, ‘यह मुकदमा हमारे मुवक्किल, हैदराबाद के आठवें निजाम के लगभग पूरे जीवनकाल तक चला। वह इससे अलग होना चाहते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘इसलिए, वह प्रस्ताव करते हैं कि चार लाख पाउंड में जो कुछ भी बचा है उसे परिवार के विस्तारित सदस्यों में बांटा जा सकता है, इस धन पर उनके दावे के अधिकार को समाप्त किया जाए तथा ऐसा परंपरागत कानून के तहत किया जाए जो यह कहता है कि सातवें निजाम की रियासत उनके वारिस आठवें निजाम को हस्तांतरित हुई।’