लाहौर, 10 नवंबर (एजेंसी)
लाहौर के शादमान चौक का नाम स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के नाम पर रखने और उनकी प्रतिमा स्थापित करने की योजना एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी तथा लाहौर जिला प्रशासन की राय के बाद रद्द कर दी गई है। पाकिस्तान के पंजाब राज्य की सरकार ने लाहौर हाईकोर्ट में यह जानकारी दी। हाईकोर्ट में शुक्रवार को दाखिल जवाब में सहायक महाधिवक्ता अशगर लेघाड़ी ने स्वतंत्रता सेनानी पर गंभीर आरोप लगाए।
लाहौर नगर निगम ने हाईकोर्ट में भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान के अध्यक्ष इम्तियाज रशीद कुरैशी द्वारा दायर अवमानना याचिका के जवाब में कहा, ‘शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने और वहां उनकी प्रतिमा लगाने की प्रस्तावित योजना को कमोडोर (सेवानिवृत्त) तारिक मजीद की राय के बाद रद्द कर दिया गया है।’ सरकार की ओर से दाखिल जवाब में कहा गया कि उसके द्वारा गठित समिति में शामिल मजीद ने अपनी राय देते हुए दावा किया कि भगत सिंह ‘क्रांतिकारी नहीं बल्कि एक अपराधी थे, आज की परिभाषा के तहत वह एक आतंकवादी थे। उन्होंने एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या की थी और इस अपराध के लिए उन्हें दो साथियों के साथ फांसी की सजा दी गई थी।’
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भगत सिंह मुसलमानों के प्रति शत्रुता रखने वाले धार्मिक नेताओं से प्रभावित थे और गैर सरकारी संगठन ‘भगत सिंह फाउंडेशन’ इस्लामी विचारधारा व पाकिस्तानी संस्कृति के खिलाफ काम कर रहा है, इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।’ हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील के उपस्थित नहीं होने के कारण अवमानना याचिका की सुनवाई 17 जनवरी तक स्थगित कर दी।
भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान के अध्यक्ष इम्तियाज रशीद कुरैशी ने कहा कि भगत सिंह को निर्विवाद रूप से महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी और शहीद घोषित किया गया है। उन्होंने कहा, ‘मैं सेवानिवृत्त कमोडोर मजीद को कानूनी नोटिस भेजूंगा और भगत सिंह पर उनके रुख को चुनौती दूंगा।’