न्यूयॉर्क, 25 सितंबर (एजेंसी)
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत-चीन संबंधों का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा और साथ ही स्पष्ट किया कि सबसे पहले द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए सीमा पर शांति बहाल करने की आवश्यकता है।
जयशंकर ने यहां एशिया सोसायटी और एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि चीन के साथ भारत का एक कठिन इतिहास रहा है तथा दोनों देशों का समानांतर विकास बहुत अनोखी समस्या पेश करता है। ‘भारत, एशिया और विश्व’ विषयक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘भारत-चीन संबंध एशिया के भविष्य के लिए अहम हैं। एक तरह से आप कह सकते हैं कि अगर दुनिया को बहु-ध्रुवीय बनाना है, तो एशिया को बहु-ध्रुवीय होना होगा। इसलिए यह रिश्ता न केवल एशिया के भविष्य पर, बल्कि संभवत: दुनिया के भविष्य पर भी असर डालेगा।’
जयशंकर ने हाल में कहा था कि चीन के साथ लगभग 75 प्रतिशत समस्याओं को सुलझा लिया गया है। इस टिप्पणी पर विदेश मंत्री ने कहा, ‘जब मैं कहता हूं कि 75 प्रतिशत समस्याओं को सुलझा लिया गया है तो यह केवल सैनिकों के पीछे हटने के संबंध में है। इसलिए यह समस्या का एक हिस्सा है। अभी मुख्य मुद्दा गश्त का है।’ उन्होंने दोनों देशों के बीच संबंधों और सीमा विवाद के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में कहा, ‘भारत और चीन के बीच 3500 किलोमीटर का सीमा विवाद है। इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सीमा शांतिपूर्ण हो ताकि रिश्ते में अन्य बातें आगे बढ़ सकें।… जब तक हम सीमा पर शांति बहाल नहीं कर लेते और यह सुनिश्चित नहीं कर लेते कि हस्ताक्षरित समझौतों का पालन किया जाए, तब तक बाकी संबंधों को आगे बढ़ाना स्पष्ट रूप से मुश्किल है।’
‘बांग्लादेश, श्रीलंका के साथ संबंध सकारात्मक रहने का विश्वास’ :
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने विश्वास जताया है कि पड़ोसी देशों- श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध सकारात्मक एवं रचनात्मक बने रहेंगे।
जयशंकर ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘ऐसा नहीं है कि भारत हर पड़ोसी के हर राजनीतिक कदम को नियंत्रित करना चाह रहा है। इस तरह से काम नहीं होता है।’ उन्होंने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे पड़ोस में, अंतत: परस्पर निर्भरता या परस्पर लाभ की वास्तविकताएं और साथ मिलकर काम करने की हमारी क्षमता हमारे दोनों हितों की पूर्ति करेगी। वे वास्तविकताएं खुद को मुखर करेंगी, यही इतिहास रहा है।
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