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ज़रूर करिए ब्रेक फास्ट

अनुष्का श्रीवास्तव आधुनिक लाइफ़स्टाइल में युवाओं का देर से सोना और देर से जागना सेहत की बलि चढ़ा रहा है। ज़ाहिर है कि देर से उठने पर हर काम में देरी होगी।  इस आदत के चलते सुबह का नाश्ता कहीं खो सा गया है। आज की जेनरेशन को ब्रेकफास्ट के  लिए  टाइम ही नहीं मिलता। […]

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अनुष्का श्रीवास्तव
आधुनिक लाइफ़स्टाइल में युवाओं का देर से सोना और देर से जागना सेहत की बलि चढ़ा रहा है। ज़ाहिर है कि देर से उठने पर हर काम में देरी होगी।  इस आदत के चलते सुबह का नाश्ता कहीं खो सा गया है। आज की जेनरेशन को ब्रेकफास्ट के  लिए  टाइम ही नहीं मिलता। आखिर क्यों छूट रही है नाश्ते की आदत? मेट्रो सी तेज रफ्तार लाइफ  को देखते हुए यह बात साफ है कि परंपरागत रूप से दिनचर्या में शामिल होने वाले कामों की सूची अब आधी से भी कम रह गई है। जिंदगी की तेज रफ्तार ने ब्रेकफास्ट जैसी सेहत के लिए सबसे जरूरी चीज को भी पीछे छोड़ दिया है। एक शोध के मुताबिक महानगरों में लगभग 40 प्रतिशत वयस्क सुबह का नाश्ता किए बिना घर से बाहर निकल जाते हैं।  पुरुष जहां समय की कमी के कारण चाहते हुए भी नाश्ता नहीं कर पाते, वही  स्त्रियां आमतौर पर  स्वैच्छिक रूप से नाश्ता नहीं करतीं  या फिर ऑफिस जल्दी पहुंचने के चक्कर में नाश्ते को प्राथमिकता नहीं देतीं। सुबह का नाश्ता न सिर्फ आप को पूरा दिन काम करने की एनर्जी देता है, बल्कि कई गम्भीर रोगों से भी बचाता है। ऐसे में यह जानना ज़रूरी है  कि कैसा हो आपका सुबह का नाश्ता। पूरी रात बिना खाने के रहने के बाद सुबह शरीर जब पोषण के लिए परेशान होता है तो उसकी पूर्ति सुबह का नाश्ता ही करता है।  जागने पर मस्तिष्क काम करने के लिए  ग्लूकोज इस्तेमाल करता है तो ऊर्जा की कमी होती है, ऐसे मे सुबह का नाश्ता ग्लूकोज की मात्रा को बैलेंस करता है और मेटाबोलिज्म को दुरुस्त करता है।
पहले जहां सुबह नाश्ते में मां  रात की सब्ज़ी भरकर परांठा या सैंडविच बनाती थीं, साथ में एक ग्लास दूध होता था, वहीं अब टिफिन में पास्ता, नूडल्स या मैगी होती है। यहां यह जानना भी रोचक है कि एक तरफ युवा अपनी सेहत के प्रति जागरूक हुआ है, जिसके चलते ग्रीन टी से उसके दिन की शुरुआत होने लगी है। ये लोग फिटनेस फ्रीक सीरियल्स, दलिया या कार्नफ्लेक्स का भी इस्तेमाल करते हैं, लेकिन उसके बाद दिनभर नूडल्स, पिज़्ज़ा, बर्गर, पास्ता और तली-भुनी चीज़ें खाते हैं। यानी सुबह के समय सही या ठोस नाश्ता न करने और बाद में तली चीज़ें खाने से सेहत ‘परवान’ चढ़ती जाती है।  सुबह के नाश्ते को नियमित रूप से छोड़ने वालों को दिन में जब भूख लगती है तो वे ज्यादा और उल्टा-सीधा खाते हैं, जिस से उनका वजन बढ़ने लगता है। इसी कारण ओबेसिटी की समस्या पैदा होती है।

क्या खाएं, क्या नहीं
न्यूट्रिशनिस्ट रितिका समादर की माने तो सुबह का नाश्ता आपको जागने के 2 घंटे के अंदर कर लेना चाहिए, लेकिन यह भी अहम है कि आप क्या खाते हैं?  दिन का यह पहला भोजन कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन, फाइबर और विटामिन से भरपूर होना चाहिए। आमतौर पर युवा सुबह के नाश्ते में चिकनाई व तेलयुक्त भोजन लेते हैं, जिनमें खराब वसा की उच्च मात्रा होती है, जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होती है। इनमें अत्यधिक कैलरी और वसा होने के परिणामस्वरूप मोटापा बढ़ता है और खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है। हार्ट अटैक या स्ट्रोक जैसी समस्याएं जन्म लेतीं हैं।

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घी-मक्खन से तौबा
नाश्ते में घी और मक्खन का अधिक होना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता।  ब्रेड, पूरी, मक्खन के साथ परांठे, समोसा और ब्रेड रोल जैसे डीप फ्राइ का नियमित सेवन शरीर में खराब वसा को खतरनाक मात्रा में एकत्रित कर सकता है।  चिकनाईयुक्त और मीठे भोजन इम्यून सिस्टम पर बुरा प्रभाव डालते हैं ।

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चीनी कम
चीनीयुक्त चीजों को उच्च फाइबर वाली चीज़ों से बदलें। ऐसी चीजें चुनें जो फाइबर, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर हों और अतिरिक्त मीठे की मात्रा कम रखती हों। अपने आहार को बदलते रहना भी जरूरी है। एक ही चीज हर रोज मत खाएं। थोड़ी-थोड़ी मात्रा में हर चीज खाएं।

अंकुरित दालें, फल
सुबह-सुबह कुछ लोग चाय-कॉफ़ी के बिना बिस्तर नहीं छोड़ते हैं। हो सकता है आलस को दूर भागने में ये चीज़ें कारगर होती हों, लेकिन सेहत के लिहाज़ से एकदम नहीं। इनकी जगह हर्बल चाय का उपयोग एक बेहतर विकल्प हो सकता है। उसके बाद नाश्ते में भीगे हुए चने, अंकुरित मूंग, दूध और फलों में चीकू और केले जो सुबह-सुबह हमारे मूड के लिए भी बेहतर होते हैं और आसानी से खाए भी जा सकते हैं, को शामिल कर सकते हैं।

परांठों को बाय-बाय
कुछ लोग अपने नाश्ते में परांठे, कचौड़ी और तली चीज़ें शामिल करते हैं। कई बार समय बचाने के चककर में टोस्ट-मक्खन से काम चला लेते हैं, जबकि इन चीजों से जितना हो सके, उतनी दूरी ही बेहतर है। इनकी जगह पर ताज़े फल, दही और दलिया बेहतर होते हैं। अगर आप मोटे हैं और वज़न कम करना चाहते हैं तो सप्ताह में दो दिन लिक्विड डाइट आपके लिए बेस्ट होगी। अगर आप बेकरी की बनी चीजों को खाने के आदी हैं जैसे पाव, कप केक या ऐसी ही कोई अन्य चीज़ तो उसकी जगह होलग्रेन ब्रेड मतलब आटे से बनी ब्रेड का उपयोग कर
सकते हैं।

अचार भी छोड़ें
यदि आपकी आदत रोटी या परांठे के साथ अचार खाने की है तो यह भी सेहत के लिए हानिकारक है। हो सके तो अचार की जगह पर आप हरी मिर्च को बिलकुल हल्का सा फ्राई करके खा सकते हैं। याद रखें कि हरी मिर्च सेहत के लिए गुणकारी होती है। इसके अलावा नाश्ते में हरी सब्जियों को हल्का सा उबालकर या पकाकर खा सकते हैं। सुबह के नाश्ते में नमकीन या मसालेदार मीट लेने के बजाय अंडे की सफेदी का सेवन कर सकते हैं। नाश्ते में दही खाना सेहत के लिहाज से सही तो जरूर है, बशर्ते वह बिना मलाई वाले दूध से तैयार हो। इसे आप सादे रूप में खाएं तो ज्यादा लाभ होगा बजाय इसमें शक्कर या नमक डालकर खाने के। इसके अलावा दलिया, ओट्स, फ्रूट्स सैलेड, ब्राउन ब्रेड या मल्टीग्रेन ब्रेड, पोहा, उपमा, फ्राइड इडली, स्प्राउट आदि अच्छे विकल्प हो सकते हैं। सब्जियों के सैंडविच, स्टफ्ड रोटी, दूध, दही व ताजे फलों का रस आदि बेस्ट नाश्ते में आते हैं।

हेल्दी नाश्ते का मतलब
नाश्ते में कम कैलोरीयुक्त चीजें ही हों, यह ज़रूरी नहीं। सुबह का नाश्ता दिन और रात के खाने से भी ज्यादा मायने रखता है। इसलिए नाश्ते में खाने से अधिक चीजों को शामिल करें। अधिक वसायुक्त चीज़ें नाश्ते में न हों, का मतलब यह भी नहीं कि नाश्ते में वसायुक्त चीज़ें शामिल ही न की जाएं। सुबह के नाश्ते में मक्खन की थोड़ी मात्रा होनी ज़रूरी  है।  आमतौर पर नाश्ते और दिन के खाने के बीच एक कप चाय/एक-दो बिस्किट या कुछ हल्की-फुल्की चीजों के अलावा और कुछ भी नहीं लेना चाहिए।

लापरवाह न हों
आधुनिक लाइफस्टाइल और दबाव के चलते नाश्ते को टालना आम बात हो गई है। इसके पीछे अक्सर समय की कमी का तर्क दिया जाता है। लेकिन यह शरीर के लिए समस्या खड़ी कर सकता है। एक्स्पर्ट कहते हैं कि जो लोग सुबह नाश्ता नहीं करते, उन्हें आगे चलकर कोलेस्ट्रॉल और कोरनेरी की समस्या हो सकती है। इसलिए अधिक प्रोटीनयुक्त, कार्बोहाइड्रेट और लो फैट वाले नाश्ते की आदत हमेशा के लिए डाल लें। जो लोग नियमित रूप से नाश्ता नहीं कर पाते, उनमें गैस्िट्रक, एसिडिक और कॉन्िस्टपेशन की दिक्कतें आम होती हैं।

नाश्ता टालने के नुकसान  
ब्रेकफास्ट करने का मतलब है शरीर को दिनभर गतिशील रखना ताकि शरीर व मस्तिष्क द्वारा किए जाने वाले काम सुचारु रूप से किए जा सकें। समय पर ब्रेकफास्ट न करने से शरीर को पर्याप्त ईंधन नहीं मिलता और बार-बार कुछ न कुछ खाने की इच्छा होती रहती है, जो आमतौर पर  लोगों की आदत बन जाती है। इस आदत के शिकार लोगों की सेहत आमतौर पर ठीक नहीं रहती और वे धीरे-धीरे ओबेसिटी की समस्या से ग्रस्त हो जाते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो दिन में तीन मुख्य भोजन ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर करने वालों का स्वास्थ्य सामान्य और अच्छा होता है। इन भोजनों के बीच कुछ तरल खाद्य पदार्थों का सेवन जैसे चाय, कॉफी आदि उतनी हानि नहीं पहुंचाते, जितना स्नैक्स पहुंचाते हैं। सुबह का नाश्ता न करने से शरीर में कैलोरीज जमा होने लगती हैं।

ब्रेकफास्ट के फायदे
एक शोध के मुताबिक सुबह का नाश्ता करने से शरीर का मेटाबोलिज़्म दुरुस्त होता है। साथ ही साथ शरीर में ऊर्जा का स्तर बरकरार रहता है। इंसुलिन का स्तर सामान्य रखने में मदद मिलती है। मोटापा नहीं आता और वज़न नहीं बढ़ता। पाचन शक्ति दुरुस्त रहती है।

ये भी जानें

  • ब्रेकफास्ट में आपने क्या खाया है, इसका असर आपकी दिनचर्या पर भी पड़ता है। यदि आप ताजा और पौष्टिक नाश्ता करते हैं तो दिन भर आप तरोताज़ा, स्वस्थ और स्फूर्ति महसूस करेंगे।
  • ब्रेकफास्ट करने वाले व्यक्तियों का वजन न करने वालों की अपेक्षा तो कम होता ही है, साथ ही रक्तचाप का स्तर भी सामान्य पाया गया है।
  • ब्रेकफास्ट में अगर आपने कम वसा वाला भोजन लिया है मसलन बिना मलाई वाला दूध, कम वसा वाली चीज या दही तो लंच में बहुत ज्यादा खाने की इच्छा अपने आप ही खत्म हो जाएगी।
  • ध्यान दें कि यदि आप ऑफिस पहुंचने की जल्‍दी में अक्‍सर नाश्‍ता टेबल पर रखा छोड़ जाते हैं तो यह आदत आपके लिए खतरनाक साबित हो सकती है। हाल ही में हुए एक शोध में यह बात सामने आई है कि प्रतिदिन ब्रेकफास्ट करने वालों की तुलना में नाश्‍ता न करने वालों को हार्ट अटैक और कोरनेरी हार्ट डिजीज होने का खतरा 27 फीसद ज्‍यादा  होता है।

स्लिम होना है तो खायें नाश्ता
कभी-कभी सुबह भूख न लगने के कारण नाश्ता करने की इच्छा नहीं होती और बहुत से लोग इसी वजह से नाश्ता नहीं करते। पर ऐसा करने से शरीर में मैटाबॉलिज्म धीमा होने के कारण कैलोरीज बर्न होने के बजाय शरीर में जमा होती रहती हैं। कैलोरीज एकत्र होने का मतलब है शरीर में चर्बी का बढ़ना। जो लोग खुद को फिट रखने या स्लिम होने की इच्छा के कारण ब्रेकफास्ट नहीं करते, उनकी यह आदत उनके लक्ष्य की विपरीत दिशा में कार्य कर रही होती है। समय पर नाश्ता न करने के कारण वह भूख लगने पर गलत चीज़ों का सेवन करते हैं। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि आपकी इच्छा वसायुक्त भोजन करने की होती है। इस तरह आप ब्रेकफास्ट की कमी लंच मे पूरी करते हैं और दुगनी या उससे भी अधिक मात्रा में वसायुक्त भोज्य पदार्थों का सेवन कर लेते हैं। इस तरह डाइटिंग का असर शरीर के अनुकूल होने के बजाय प्रतिकूल होता है।

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