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किस्मत की लकीर, कोई राजा तो कोई बने फकीर

व्यंग्य/तिरछी नज़र

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शमीम शर्मा

मेरा तो मानना है कि किस्मत लिखी नहीं जाती बनाई जाती है। अगर आपके हाथ में परिश्रम और दिमाग की पकड़ है तो किस्मत खुद डिलीवर करने आयेगी और वह भी बिना ओटीपी मांगे। पढ़-लिखकर बेरोजगार रहे एक युवक का कहना है कि हाथ भर‍्या पड़्या है लकीरां तै पर काम की एक भी कोण्या। मानने वाले तो यहां तक मानते हैं कि किस्मत की लकीरें गहनों से ज्यादा कीमती होती हंै। हमारी उलझन और सुलझन सब इन्हीं में सिमटी है। किसी हथेली में तो ये लाइनें यूं होती हैं मानो खुदा ने सही दिशा में ड्राइंग करने की बजाय बंद आंखों से जिगजैग लाइंस खींच दी हों।

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कुछ लोगों की हथेली बिल्कुल कोरीकट हैं जैसे किसी नई कॉपी का पहला पन्ना। इन्हें देखकर लगता है कि भगवान भी कभी-कभी स्किप बटन दबा देता है। कुछ लोगों की हथेलियों में सीधी सरल लाइन होती हैं और ये लोग अक्सर कहते मिल जाते हैं- मेरी किस्मत मुझे हर बार बचा लेती है। इन लोगों को रेत में भी रास्ता दिख जाता है। कभी-कभी लकीरें कहती हैं कि भाग्य सो रहा है, खुद ही उठा लो जिंदगी का सामान।

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मजा तो तब आता है जब कोई कहे कि भाई तेरी हथेली में तो राजयोग है और चाय बनाते-बनाते उसके सिलंेडर में गैस खत्म हो जाये। असल में मीठे संयोग को ही हम किस्मत मानते आये हैं। जैसे किसी सुनसान स्थान पर चलते हुए किसी कार की लिफ्ट मिल जाती है तो वह किस्मत को क्रेडिट देता है। कइयों की भाग्य लाइनों में हमेशा एक ही सुर होता है- अरे फिर वही झमेला। किस्मत की लकीरें हमें ताबीज और टोने-टोटकों तक ले जाती हैं। कभी हम बाबा या पंडित के दरवाजे पर पहुंच जाते हैं। कभी पीर-पैगम्बरों के दर पर और पूछते हैं कि मेरी किस्मत कब चमकेगी।

किस्मत की लकीरें कई बार हमारे साथ मस्ती करती हैं, कभी धोखा देती हैं, कभी जिता देती हैं, कभी परास्त करती हैं, कभी थका देती हैं, कभी सुन्न कर देती हैं। इन लकीरों में हमारे जीवन का अनकहा और अप्रकाशित अध्याय छिपा होता है। वे बच्चे अपने आप को भाग्यवान मानते हैं जिन्हें आसानी से अपने मम्मी-पापा के मोबाइल का कोड ओर वाईफाई का पासवर्ड मिल जाता है। असली बाजीगर वे हैं जो अपनी तकदीर पर हंस सकें।

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एक बर की बात है अक ताई रामप्यारी पहल्ली बर हवाई जहाज म्हां बैट्ठी तो उसनैं दो मिनट बाद एयर होस्टेस तै रुक्का मार्या। एयर होस्टेस आकै बोल्ली- हां ताई जी बताइये क्या सेवा करूं। ताई बोल्ली- मन्नैं ना तेरे तै पां दबवाने, मेरी तो सीट खिड़की वाली कर दे, मेरै तेल चढै है।

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